Dupahiya Web Series Full Story in Hindi | 2025 की नई हास्य-गाथा

 Dupahiya (2025) Web Series – पूरी कहानी विस्तार में | बिहार के गांव की हास्य-गाथा

"Dupahiya" एक हल्के-फुल्के अंदाज़ में गहरी सामाजिक सच्चाइयों को उजागर करने वाली वेब सीरीज है, जिसकी कहानी हमें बिहार के एक छोटे से गांव 'धड़कपुर' में ले जाती है, जो पिछले 25 वर्षों से पूरी तरह से क्राइम-फ्री रहा है। यह क्राइम-फ्री टैग पूरे गांव के लिए गर्व का विषय है, लेकिन जब एक दिन इस गांव से एक नई Royal Enfield बाइक चोरी हो जाती है, तब सब कुछ उल्टा-पुल्टा हो जाता है।

शुरुआत – गांव का मान और शान
धड़कपुर गांव में शांति है, व्यवस्था है, और एक सामाजिक संतुलन है। इस गांव के हर व्यक्ति को इस बात पर गर्व है कि पिछले 25 वर्षों से कोई FIR तक दर्ज नहीं हुई। पंचायत चुनाव नजदीक हैं और वर्तमान प्रधान पुष्पलता देवी (रेणुका शहाणे) फिर से चुनाव लड़ना चाहती हैं। इस गांव की पहचान ही है – "Crime Free Village".

घटना – बाइक चोरी और अफरा-तफरी
रौशनी (शिवानी रघुवंशी) की शादी तय हो चुकी है और दहेज में दी जा रही नई Royal Enfield बाइक घर पर खड़ी होती है। लेकिन तभी वह बाइक चोरी हो जाती है। गांव में हड़कंप मच जाता है। गांव की छवि पर खतरा मंडराने लगता है। रौशनी के पिता बनवारी झा (गजराज राव) बाइक ढूंढ़ने के लिए हर संभव कोशिश में लग जाते हैं। पूरा परिवार – मां मालती, बेटा भूगोल, और गांव के बाकी लोग – इस रहस्य की तह में जाने की कोशिश करते हैं।

जांच – गांव की राजनीति और रिश्तों की परतें
शक की सुई सबसे पहले रौशनी के पुराने प्रेमी अमावस (भुवन अरोड़ा) पर जाती है, जो अब गांव में टैक्सी चलाता है। क्या उसने रौशनी से बदला लेने के लिए बाइक चुराई? ACP मितलेश कुशवाहा (यशपाल शर्मा) की एंट्री होती है – एक सनकी लेकिन ईमानदार पुलिस अधिकारी, जो गांव में पहली बार अपराध की गंध पाकर रोमांचित है।
जैसे-जैसे एपिसोड आगे बढ़ते हैं, रिश्तों की गांठें खुलती हैं – अमावस का दिल अब भी रौशनी के लिए धड़कता है, भूगोल का आत्मविश्वास टूटा हुआ है, बनवारी झा गांव की प्रतिष्ठा बचाने की कोशिश में खुद को खोता जा रहा है, और पुष्पलता देवी अपनी राजनीति के लिए इस केस को दबाना चाहती हैं।

कॉमेडी + समाज की आलोचना
'Dupahiya' केवल एक चोरी की कहानी नहीं है। यह दहेज प्रथा, पंचायत राजनीति, पितृसत्ता, नौजवानों की बेरोजगारी, और गांवों में 'प्रतिष्ठा' के झूठे आभास पर करारा व्यंग्य है। कई सीन हल्के-फुल्के हैं लेकिन भीतर से चुभते हैं।

बनवारी झा की परेशानियाँ, भूगोल की भावनाएं, मालती की व्यावहारिक सोच और अमावस की मासूम मोहब्बत – सब कुछ मिलकर कहानी को और गहरा बनाते हैं। साथ ही, गांव के और भी दिलचस्प पात्र जैसे - हुकुम सिंह जो हर बात में नेताजी से तुलना करता है, रवीन्द्र मास्टर जो मोबाइल को संस्कार खत्म करने वाला यंत्र मानता है, और चायवाले दिनेश जी जो हर जानकारी की शुरुआत "अखबार में पढ़ा था" से करते हैं – सब मिलकर शो को और रंगीन बना देते हैं।

अंत – अपराध का समाधान या आत्ममंथन?
जब आखिरकार पता चलता है कि बाइक की चोरी गांव के ही एक युवक ने की थी, जो चाहता था कि रौशनी की शादी टूट जाए ताकि रौशनी किसी और की न हो पाए – यह मोड़ दर्शकों को हिला देता है। बाइक मिल जाती है, शादी हो जाती है, लेकिन बनवारी झा को यह एहसास होता है कि 'Crime Free' की पहचान सिर्फ आंकड़ों से नहीं होती – बल्कि मानसिकता बदलने से होती है।
फिनाले में गांव वालों को खुद से यह सवाल करना पड़ता है – क्या हम वास्तव में क्राइम-फ्री हैं? या सिर्फ रिपोर्ट फाइल नहीं करते?
निर्देशन और अभिनय
निर्देशक अंशुमान झा ने कहानी को इतने दिलचस्प अंदाज़ में प्रस्तुत किया है कि हर किरदार अपने आप में गहराई लिए हुए लगता है। गजराज राव हमेशा की तरह शानदार हैं, रश्मिका मंदाना की तरह शिवानी भी सहज अभिनय करती हैं। यशपाल शर्मा का कैरेक्टर याद रह जाता है।
निष्कर्ष
'Dupahiya' एक गहरी सोच वाली, व्यंग्यात्मक और दिल से निकली हुई कहानी है, जो दर्शकों को हँसाने के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर करती है। यह वेब सीरीज उन लोगों के लिए है जो ‘पंचायत’ जैसी जमीनी कहानियों को पसंद करते हैं, लेकिन कुछ नया और हटके देखना चाहते हैं।


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