Aankhon Ki Gustakhiyan
शहर की रोशनी में भीगी हुई उस शाम की शुरुआत होती है जब रिद्धिमा, लाल रंग की ड्रेस में, मेले के उस झूले पर अकेली बैठी थी, उसकी नजरें जैसे खुद से सवाल पूछ रही हों, और जवाब किसी अजनबी की मुस्कान में छुपा हो, तभी सामने से आता है आरव – बिखरे बाल, हल्की दाढ़ी, और आंखों में वो किस्मत को चुनौती देने वाली मुस्कुराहट, जो किसी को भी दिल दे बैठने पर मजबूर कर दे, दोनों की नज़रें टकराती हैं, कुछ सेकंड के लिए वक्त रुक जाता है, मेले की रोशनी, झूले की गूंज, बच्चों की हंसी – सब जैसे दूर हो जाता है और सिर्फ दो दिलों की धड़कनें सुनाई देती हैं, रिद्धिमा की पलकें झुकती हैं, मगर दिल की हिचक नहीं रुकती, आरव झूले के पास आता है, हल्की सी मुस्कान के साथ कहता है “पहली बार देख रहा हूँ किसी को अकेले झूले पर”, रिद्धिमा हंसती है, पर कुछ कहती नहीं, उन दोनों के बीच खामोशी का रिश्ता बनने लगता है, और यहीं से शुरू होती है उनकी कहानी – आँखों की गुफ्तगू, दिल की चुप्पी और उस चुप्पी में छुपा प्यार, आरव एक struggling musician है, जिसका हर गाना अधूरा लगता है जब तक रिद्धिमा की आंखों में नहीं देखता, और रिद्धिमा – एक अमीर घर की इकलौती बेटी, जिसके पास सब कुछ है पर दिल की तसल्ली नहीं, दोनों का साथ उन छोटी-छोटी मुलाकातों से गहराता है – कॉफी की खुशबू में, बारिश की बूँदों में, और उन अधूरी बातों में जो होंठ नहीं कहते पर आंखें बयाँ कर देती हैं, आरव रिद्धिमा की आंखों को अपनी ताकत मानने लगता है, और रिद्धिमा आरव की मुस्कुराहट में अपने टूटे हुए ख्वाब पूरे देखती है, मगर जैसे हर प्यार की कहानी में होता है, किस्मत अपनी चाल चलती है, रिद्धिमा के पापा उसकी शादी एक बड़े बिज़नेसमैन से तय कर देते हैं, कहते हैं “प्यार से पेट नहीं भरता”, और आरव के पास सिर्फ गिटार और ख्वाब हैं, उस रात रिद्धिमा की आंखों से नींद रूठ जाती है, वो फोन उठाती है, कांपती आवाज में कहती है “आरव, मैं ये शादी नहीं कर सकती”, आरव उसकी आवाज़ सुनकर भीगा सा मुस्कुराता है, मगर दिल जानता है कि लड़ाई आसान नहीं, अगली सुबह दोनों मंदिर के पीछे उस पुराने पार्क में मिलते हैं, जहां पहली बार हाथ पकड़ा था, आरव कहता है “चल कहीं दूर चलते हैं, जहां बस हम हों”, रिद्धिमा उसकी आँखों में देखती है, उसकी पलकों पर सपनों की बारिश होती है, मगर फिर वो कहती है “मगर पापा?”, आरव चुप हो जाता है, वो जानता है रिद्धिमा अपने पापा की आंखों में आंसू नहीं देख सकती, मगर खुद से भी जुदा नहीं हो सकती, दिन गुजरते हैं, शादी की तारीख पास आती है, और रिद्धिमा की हिम्मत कम होती जाती है, आरव भी टूटने लगता है, उसके गाने फीके लगते हैं, गिटार के तार जैसे दर्द बयाँ करने लगते हैं, एक रात वो स्टेज पर गाता है “तेरी आंखों की गुस्ताखियां, दिल पे वार कर गईं”, भीड़ तालियाँ बजाती है, मगर उसकी नजरें सिर्फ रिद्धिमा को ढूंढती हैं, उस भीड़ में रिद्धिमा खड़ी होती है, आंखों में आंसू और दिल में तूफान, वो दौड़कर स्टेज के पास आती है, दोनों की नज़रें मिलती हैं, वक्त फिर ठहर जाता है, मगर उस भीड़ की दीवार उन्हें जुदा कर देती है, अगले दिन रिद्धिमा की सगाई होती है, आरव दूर से देखता है, उसकी आंखों में सिर्फ प्यार नहीं, हार का दर्द भी है, मगर रिद्धिमा के चेहरे पर मुस्कुराहट नहीं, आरव रात को उसकी बालकनी के नीचे खड़ा होता है, गिटार उठाता है, और धीमे सुरों में वही गाना गाता है, रिद्धिमा की आंखों में आंसू गिरते हैं, वो नीचे आती है, कहती है “क्यों कर रहे हो ये सब?”, आरव कहता है “क्योंकि मैंने तुझसे वादा किया था कि कभी हार नहीं मानूंगा”, रिद्धिमा का दिल पिघलता है, मगर हकीकत की जंजीरें उसे रोकती हैं, शादी के दिन रिद्धिमा दुल्हन के जोड़े में, आईने के सामने खड़ी होकर खुद से पूछती है “क्या यही सही है?”, जवाब नहीं मिलता, मगर दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं, बारात का शोर गूंजता है, मगर रिद्धिमा का दिल सुनना बंद कर देता है, वो भागती है, लाल जोड़ा उड़ता है, आंखों में आंसू, दिल में सिर्फ एक नाम “आरव”, आरव उसी पार्क में बैठा उदास गिटार बजा रहा होता है, रिद्धिमा दौड़कर उसके सामने आ जाती है, कहती है “अब और नहीं, मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकती”, आरव की आंखों में चमक लौटती है, मगर तभी पीछे से पापा की आवाज़ आती है, “रिद्धिमा!”, वो कांप जाती है, मगर आरव उसका हाथ पकड़ लेता है, कहता है “इस बार मत छोड़ना”, पापा पास आते हैं, आंखों में गुस्सा मगर चेहरे पर दर्द, कहते हैं “तुम्हें हमारी इज़्ज़त का ख्याल नहीं?”, रिद्धिमा कांपती आवाज में कहती है “पापा, मैं बस खुश रहना चाहती हूँ”, पापा की आंखें भीगती हैं, कुछ पल के लिए वो खामोश हो जाते हैं, फिर कहते हैं “जा, जी ले अपनी ज़िन्दगी”, रिद्धिमा के आंसू गिरते हैं, मगर ये आंसू दर्द के नहीं, राहत के होते हैं, वो आरव के गले लगती है, दोनों की आंखों में उम्मीद की रौशनी जलती है, कहानी यहीं खत्म नहीं होती, आगे भी मुश्किलें आती हैं, मगर अब वो साथ हैं, आरव के गाने हिट होने लगते हैं, लोग कहते हैं “इन गानों में सच्चा दर्द है”, मगर असल में ये दर्द नहीं, प्यार था, जो आंखों की गुस्ताखियों से शुरू होकर दिल की गहराइयों तक पहुँच गया, कुछ सालों बाद दोनों उसी झूले पर बैठते हैं जहां पहली बार मिले थे, रिद्धिमा कहती है “याद है, यहीं से शुरू हुआ था?”, आरव मुस्कुराता है “और कभी खत्म नहीं होगा”, कैमरा ऊपर जाता है, मेले की रौशनी में वो जोड़ा जैसे दो सितारे चमकते हैं, कहानी खत्म नहीं, बस नए सफर की शुरुआत होती है, क्योंकि असली मोहब्बत में अंत नहीं होता, सिर्फ एक नई कहानी की दस्तक होती है…
Post a Comment