🎬 Emergency (2025) – फिल्म की पूरी कहानी | इंदिरा गांधी की इमरजेंसी पर आधारित फिल्म की गहराई से व्याख्या
भूमिका: एक राजनीतिक भूकंप की शुरुआत
फिल्म Emergency (2025), भारत के इतिहास की उस स्याह अवधि पर आधारित है जब लोकतंत्र का गला घोंटकर 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक देश में आपातकाल लागू कर दिया गया था। इस फिल्म में अभिनेत्री कंगना रनौत ने न केवल इंदिरा गांधी की भूमिका निभाई है, बल्कि फिल्म का निर्देशन और निर्माण भी स्वयं किया है। यह फिल्म न केवल एक राजनेता की मनोस्थिति को दिखाती है, बल्कि एक माँ, एक महिला, एक रणनीतिकार के संघर्ष को भी सामने लाती है।
भाग 1: सत्ता की सीढ़ी
कहानी की शुरुआत होती है स्वतंत्रता के बाद के भारत से, जहाँ इंदिरा गांधी, अपने पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाती हैं। लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में उन्हें प्रधानमंत्री चुना जाता है।
इंदिरा गांधी शुरू में एक “गूंगी गुड़िया” समझी जाती हैं, लेकिन वह धीरे-धीरे अपने निर्णयों, साहसिक कदमों और सख्त नीतियों के जरिए देश की सबसे शक्तिशाली नेता बन जाती हैं। 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में भारत की जीत और बांग्लादेश का निर्माण उन्हें वैश्विक पहचान दिलाता है।
भाग 2: सत्ता का संकट
1971 की जीत के बाद इंदिरा गांधी की लोकप्रियता चरम पर थी, लेकिन 1973–74 में देश में आर्थिक संकट, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और महंगाई बढ़ने लगते हैं। इसी समय जयप्रकाश नारायण (अनुपम खेर) के नेतृत्व में “सम्पूर्ण क्रांति” की मांग को लेकर छात्र और युवा आंदोलन शुरू होता है।
1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी को चुनावी भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया और उन्हें 6 साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। यह फैसला उनकी सत्ता को हिला देता है। इंदिरा गांधी को डर होता है कि वो प्रधानमंत्री पद से हटाई जा सकती हैं और उनकी सरकार गिर जाएगी।
भाग 3: आपातकाल की घोषणा
25 जून 1975 को, इंदिरा गांधी राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करवाती हैं। इसके साथ ही भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मीडिया की आज़ादी, और लोकतंत्र पर एक भयावह पर्दा पड़ जाता है।
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जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, मोरारजी देसाई सहित हजारों विपक्षी नेता गिरफ्तार कर लिए जाते हैं।
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प्रेस पर सेंसरशिप लागू होती है। अखबारों की हेडलाइंस सरकार की मर्जी से छपती हैं।
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नागरिकों के मौलिक अधिकार रद्द कर दिए जाते हैं।
भाग 4: संजय गांधी का उदय
फिल्म में संजय गांधी (विशाल नायर) को एक तेजतर्रार, महत्वाकांक्षी लेकिन तानाशाही प्रवृत्ति वाला युवा दिखाया गया है, जो इंदिरा गांधी की छाया से निकलकर खुद के फैसले लागू करता है।
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संजय के नेतृत्व में नसबंदी अभियान, झुग्गी-झोपड़ियों का हटाव, और युवाओं के खिलाफ बर्बर कार्रवाई होती है।
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संजय की नीतियों से जनता में असंतोष फैलता है, लेकिन सत्ता के डर से कोई आवाज नहीं उठाता।
भाग 5: आत्ममंथन और संघर्ष
इंदिरा गांधी खुद को अकेली महसूस करने लगती हैं। उनके पास सत्ता तो है, लेकिन समर्थन नहीं। वो देखती हैं कि उनका बेटा सत्ता का नशा चढ़ा बैठा है, देश में डर और नफरत का माहौल है। फिल्म इस हिस्से में उनके अंदर चल रहे आत्म-संघर्ष और अपराधबोध को बहुत गहराई से दिखाती है।
भाग 6: चुनाव और सत्ता से पतन
19 महीनों बाद, देश और अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते इंदिरा गांधी आपातकाल हटाती हैं और 1977 में चुनाव की घोषणा करती हैं।
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विपक्षी पार्टियाँ एकजुट होकर जनता पार्टी बनाती हैं।
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इंदिरा गांधी और उनकी पार्टी को चुनाव में ऐतिहासिक हार मिलती है।
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मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बनते हैं और कांग्रेस की सत्ता खत्म हो जाती है।
भाग 7: अंतिम दौर
फिल्म के अंतिम भाग में दिखाया गया है कि किस तरह इंदिरा गांधी ने हार के बावजूद जनता के बीच रहना नहीं छोड़ा। धीरे-धीरे उन्होंने फिर से राजनीतिक वापसी की योजना बनाई।
1980 में वह दोबारा प्रधानमंत्री बनीं, लेकिन संजय गांधी की मृत्यु, पंजाब में उपद्रव और ऑपरेशन ब्लू स्टार की पृष्ठभूमि के चलते फिल्म एक भावुक अंत तक पहुंचती है। आख़िरकार 31 अक्टूबर 1984 को उनकी हत्या हो जाती है।
निष्कर्ष: एक यथार्थपरक चित्रण
“Emergency” फिल्म एक भावनात्मक, राजनीतिक और ऐतिहासिक रूप से जटिल कालखंड का दस्तावेज़ है। इसमें इंदिरा गांधी के किरदार को ना केवल एक तानाशाह के रूप में, बल्कि एक माँ, नेता, और जटिल व्यक्तित्व के रूप में दिखाया गया है। फिल्म सवाल भी उठाती है:
क्या इंदिरा ने देश को बचाया या लोकतंत्र को कुचल दिया?
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